उपवास के इन फायदों के डॉक्‍टर भी हुए मुरीद

उपवास के इन फायदों के डॉक्‍टर भी हुए मुरीद

सेहतराग टीम

भारतीय परंपरा में उपवास का बहुत महत्‍व है। हममें से अधिकांश लोगों ने अपने घर में अपनी मां या दादी अथवा घर के किसी न किसी सदस्‍य को सप्‍ताह के कुछ दिनों में उपवास करते जरूर देखा होगा। सवाल है कि क्‍या उपवास का केवल धार्मिक महत्‍व है या हमारे शरीर पर भी इसका कोई कोई असर होता है? वैज्ञानिकों ने कई अध्‍ययनों के जरिये यह साबित किया है कि नियमित रूप से उपवास करने से उच्‍च रक्‍तचाप, कोलेस्‍ट्रॉल, इंसुलीन संवेदनशीलता की स्थिति में सुधार आता है। यहां तक कि यदि उपवास को कुछ लंबे समय तक बढ़ा दिया जाय (दो से चार दिन) तो इसका फायदा और बढ़ जाता है। इस स्थिति में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है, पुरानी प्रतिरोधक कोशिकाएं नष्‍ट हो जाती हैं और उनकी जगह नई कोशिकाएं आ जाती हैं।

समय के अनुरूप बने हैं व्रत त्‍योहार

खास बात यह है कि हमारे व्रत-त्‍योहार भी इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि अगर सही तरीके से उनका पालन किया जाए तो शरीर को अधिकतम लाभ मिल सकता है। मगर मुश्किल यह है कि नई पीढ़ी इन सभी को ढकोसला और अंधविश्‍वास मानकर इनका पालन करने में अपनी हेठी समझती है। उदाहरण के लिए चैत्र नवरात्र जो कि अभी चल रहे हैं, इसे गर्मियां शुरू होने से ठीक पहले नौ दिन तक मनाया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इस समय व्रत और उपवास करने से हमारा शरीर गर्मियों को सहन करने में सक्षम बनता है। उपवास से शरीर के विषैले तत्‍व बाहर निकल जाते हैं और सिर्फ शरीर ही नहीं हमारा मष्तिष्‍क और आत्‍मा भी पवित्र हो जाती है। शरीर पर इसके सकारात्‍मक असर को देखते हुए ही कुछ लोग भले ही धार्मिक वजह से उपवास करते हैं मगर अधिकतर लोग शरीर की अतिरिक्‍त चर्बी और कैलोरी को खत्‍म करने के लिए इसका इस्‍तेमाल करते हैं।

उपवास भी कई तरह के

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि उपवास का अर्थ भूखा रहना नहीं है बल्कि इसका अर्थ इच्‍छाओं पर लगाम लगाना और साथ ही साथ सकारात्‍मक विचारों को बढ़ावा देना है। इच्‍छाएं कई तरह की हो सकती हैं, स्‍वादिष्‍ट भोजन की इच्‍छा, अच्‍छी सुगंध की इच्‍छा, किसी खास संगीत को सुनने की इच्‍छा आदि। इसी प्रकार उपवास भी कई तरह का हो सकता है। भोजन त्‍यागना, मनपसंद दृश्‍यों को देखने से परहेज करना, मनपसंद संगीत को सुनने से मन हटाना, मनपसंद गतिविधि से परहेज, मौन व्रत आदि। ये सभी उपवास के प्रकार कहे जा सकते हैं। इसी प्रकार नवरात्र का भोजन इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यदि सिर्फ उसी भोजन पर शरीर को छोड़ दिया जाए तो शरीर को बेहद फायदा होता है क्‍योंकि इस भोजन में विटामिन ए, बी6, के, सी, फोलेट, कैल्सियम, पोटैशियम, आयरन, कॉपर, मैगनिशियम, फॉस्‍फोरस और मैग्‍नीज की भरपूर मात्रा होती है।

जीवन को सकारात्‍मकता से भरें

चैत्र नवरात्र की समाप्ति रामनवमी के साथ होती है जो कि भगवान राम का जन्‍म दिन होता है। इसलिए नवरात्र के दौरान हममें पैदा हुआ चैतन्‍य भाव भगवान के जन्‍म के बराबर होता है इसलिए भगवान के जन्‍मदिन को हमें आंतरिक खुशी हासिल करने के रास्‍ते के रूप में अनुशासित तरीके से मनाना चाहिए।

उपवास की राह छोड़ने से बढ़ींं परेशानियां

डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं कि हमारा देश धीरे-धीरे मधुमेह, हृदय रोग और इंसुलीन प्रतिरोधक बीमारियों का घर बनता जा रहा है। ये सभी कहीं न कहीं हमारे उपवास न करने या फ‍िर रोज हाई कार्बोहाइड्रेड वाले भोजन की अधिकता से जुड़ा हुआ है। इसे देखते हुए हमें उपवास को मेडिकल उपवास से जोड़कर इस्‍तेमाल करना चाहिए और यही वक्‍त की जरूरत भी है।

उपवास से जुड़े टिप्‍स

यदि आपको मधुमेह और उच्‍च रक्‍तचाप है तो आपको अपने व्रत की योजना सावधानी पूर्वक बनानी चाहिए। किसी भी स्थिति में दवाओं का शेड्यूल न बदलें और तेज भूख लगने की स्थिति में कुछ स्‍नैक्‍स अपने पास रखें।

पानी खूब पीते रहें और इसके साथ ही नारियल पानी, ग्रीन टी, बटर मिल्‍क और नींबू पानी का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक से तो दूरी ही बना कर रखें।

व्रत का नाश्‍ता जैसे लुभावनी तली हुई चीजों से दूरी बनाएं क्‍योंकि इनमें कुछ भी फायदेमंद नहीं होता। इसके बदले उबली या रोस्‍ट की हुई चीजों को भोजन में शामिल करें।

नियमित नमक की जगह खाने में सेंधा नमक का इस्‍तेमाल करें क्‍योंकि ये शरीर में मिनरल्‍स के बेहतर अवशोषण में मददगार होता है। ऐसे लोग जिन्‍हें हाई या लो ब्‍लड प्रेशर है उनके लिए भी ये फायदेमंद है।

डेजर्ट के लिए चीनी वाली चीजों के बदले शहद का इस्‍तेमाल करें और भोजन में फल की मात्रा ज्‍यादा कर दें।

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